गर्भ में भ्रूण से लेकर जन्म के एक हजार दिनों तक का समय बच्चों के पोषण के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण : सुपोषण सखी नर्मदाअतिरिक्त पौष्टिक आहार देकर बच्चो के पोषण की जरूरतों को किया जा सकता है पूरा

शिवपुरी। कुपोषण से कैसे लड़ सकते हैं, इसके लिए ग्राम पतारा, बारा, बूढ़ी बरोद, मझेरा, करई एवम जमोनिया के आदिवासी बस्ती के कुपोषित बच्चों को सही से पोषण एवम देखभाल के लिए शक्ती शाली महिला संगठन, महिला बाल विकास एवम ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र पर बच्चो की माताओं को अतिरिक्त पौष्टिक आहार जिसमे मूंगफली, सफेद तिल्ली, भुना हुआ चना, गुड़ एव एवम मुरमुरा जो की साल भर उपलब्ध होता है पोषण से भरपूर सामग्री को मिलाकर अतिरिक्त पोष्टिक पोषण आहार कुपोषित बच्चो को घर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से दिया जा रहा है अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक पिंकी चौहान ने बताया की  गर्भ में भ्रूण से लेकर जन्म के एक हजार दिनों तक का समय बच्चों के पोषण के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।  कुपोषण एक बीएनएफ सुपोषण सखी नर्मदा ने कहा की ऐसी समस्या है, जो विभिन्न पीढयि़ों में पाई जाती है। एक कुपोषित मां द्वारा एक कम वजनी, एनीमिया पीड़ित, छोटे कद के बच्चे को जन्म देने की ज्यादा संभावना होती है। इसके अलावा अल्पपोषण या कुपोषण सिर्फ अपर्याप्त भोजन या पोषक तत्वों की कमी की समस्या नहीं है। इससे लडऩे के लिए सिर्फ पर्याप्त भोजन की ही नहीं, बल्कि उचित स्वास्थ्य दखल (जैसे, सुरक्षित प्रसव की सुविधा, प्रतिरक्षण यानी टीकाकरण), स्वच्छ पेयजल, सार्वजनिक स्वच्छता और सफाई आदि की भी जरूरत है। इसके लिए इन गांव में सामाजिक कार्यकर्ता पूजा शर्मा , बबीता कुर्मी एवम ललित ओझा के द्वारा कुपोषित बच्चो की माताओं को अतिरिक्त पौष्टिक आहार केसे खिलाना ये बताया। इन कार्यक्रमों के तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जाता है, इसका आप जरूर लाभ लें। प्रोग्राम में आगनवाड़ी कार्यकर्ता, सुपोषण सखी के साथ साथ कुपोषित बच्चे की माताओं ने भाग लिया।

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